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Poem on Plastic Pollution in Hindi – 20+ प्लास्टिक बैन पर कविता

Poem on Plastic Pollution in Hindi:- यहाँ हमने आप सभी के लिए प्रदुषण कविता हिंदी में पोस्ट की है। वैसे साथियों, कैसे हो आप सभी साथियों, प्लास्टिक का प्रदूषण लगातार फैल रहा है क्योंकि हम प्लास्टिक का सबसे ज्यादा इस्तेमाल करते हैं, आज देखते हैं तो प्लास्टिक से बनी चीजों का सबसे ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। पानी का जग हो या खाने का टिफिन या सब्जी लाने के लिए पॉलीथिन, ये मूलभूत चीजें निर्विवाद रूप से प्लास्टिक से बनी हैं।

प्लास्टिक इस हद तक असुरक्षित है कि अगर संयोग से कोई प्राणी उसे खा लेता है तो वह भी चला जाता है। जल, वायु और भूमि प्रदूषण पॉलीथिन के कारण होता है, यह हमारे लिए अत्यंत हानिकारक है, आज हमने प्लास्टिक संदूषण पर एक सॉनेट बनाया है, आपको इसे समझना चाहिए, तो आज हम अपने इस सॉनेट को कैसे पढ़ते हैं।

Poem on Plastic Pollution in Hindi

Plastic Pollution par Kavita

पर्यावरण प्रदुषण से मच जाती है पूरी दुनिया में हाहाकार,
सच तो यह है की इसके लिए इंसान ही है जिम्मेदार।

प्रदूषण से चिंतित है पूरा संसार,
फिर भी हम क्यों करते हैं पर्यावरण के साथ ऐसा ब्यबहार।
युहीं अगर करते रहे हम प्रकृति के साथ खिलवाड़,
प्रकृति का कहर कर सकता है हम पर प्रहार।

पर्यावरण प्रदुषण से मच जाती है पूरी दुनिया में हाहाकार,
सच तो यह है की इसके लिए इंसान ही है जिम्मेदार।

बिना सोचे समझे पर्यावरण को नुक्सान पहुंचते हैं,
इसका परिणाम भी हम सब हीं झेलते हैं।
शहरीकरण के नाम पे जंगलों को कटा जाता है,
इसका खामियाजा भी हम सभी को भुगतना पड़ता है।

पर्यावरण प्रदुषण से मच जाती है पूरी दुनिया में हाहाकार,
सच तो यह है की इसके लिए इंसान ही है जिम्मेदार।

पर्यावरण प्रदुषण पर कविता सुनते हैं,
पर्यावरण प्रदुषण पर भासन भी देते हैं।
खुद ही स्वच्छता नियम का उलंघन करते हैं,
फिर भी प्रदुषण पे दूसरों को समझते हैं।

पर्यावरण प्रदुषण से मच जाती है पूरी दुनिया में हाहाकार,
सच तो यह है की इसके लिए इंसान ही है जिम्मेदार।

प्रदुषण पर कविता – short quotes on plastic Pollution

 

कविता का शीर्षक है “हवाओं में घुलता ज़हर”

हवाओ में घुलता जहर
धीरे-धीरे सांसो में फैलता जहर
इस प्रदूषण भरी पृथ्वी पर।

अब घुटने लगा है दम,
न जाने फिर भी क्यों प्रदूषण फैलाते है हम।
अपनी दो पल की जरूरत के लिए
बेजुबान पेड़ों को नुकसान पहुंचाते हम।

जो थोड़ी मिलती है शुद्ध हवा,
उसको भी बर्बाद करते हम।
हवाओं में घुलता ज़हर,
धीरे-धीरे सांसों में फैलता जहर।

कभी अत्यधिक पटाखे जलाकर,
तो कभी पेड़ों को काट कर,
कभी पराली जला कर
तो कभी फैक्ट्रियों से हानिकारक गैसों को निकाल कर
तो कभी मोबाइल टावर के रेडिएशन को बढ़ा कर।

नए-नए तरीके से हवाओ को प्रदूषित करते हम,
जीने के लिए जो बची है थोड़ी सांसे
उसको भी बेजान करते हम।

हवाओं में घुलता ज़हर,
धीरे-धीरे सांसों में फैलता जहर।

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