Tu khud ki khoj me nikal – तू खुद की खोज में निकल कविता
Tu Khud ki Khoj Me Nikal Poem: – नमस्कार दोस्तों आज हमने आप सभी के लिए “तू खोज में निकल कविता” लिखी है। ये कविता सुनते ही मानो जैसे मन में एक अलग सी ऊर्जा का निर्माण होता है। यह कविता ख़ास तोर पर मशहूर गीतकार तनवीर ग़ाज़ी ने लिखी थी और बॉलीवुड के प्रसिद्ध अभिनेता वे महानायक अमिताभ बच्चन के माध्यम से इस कविता को आवाज दी गई। तो आइये आज हम भी इस प्रसिद्ध कविता के बारे में विस्तार से जानते है।
Tu Khud ki Khoj Me Nikal Poem in Hindi
तू खुद की खोज में निकल
तू किस लिए हताश है,
तू चल, तेरे वजूद की
समय को भी तलाश है
समय को भी तलाश है..
जो तुझ से लिपटी बेड़ियाँ
समझ न इन को वस्त्र तू…
जो तुझ से लिपटी बेड़ियाँ
समझ न इन को वस्त्र तू…
ये बेड़ियां पिघाल के
बना ले इनको शस्त्र तू
बना ले इनको शस्त्र तू
तू खुद की खोज में निकल
तू किस लिए हताश है,
तू चल, तेरे वजूद की
समय को भी तलाश है
समय को भी तलाश है..
चरित्र जब पवित्र है
तो क्यों है ये दशा तेरी…
चरित्र जब पवित्र है
तो क्यों है ये दशा तेरी…
ये पापियों को हक़ नहीं
की ले परीक्षा तेरी
की ले परीक्षा तेरी
तू खुद की खोज में निकल
तू किस लिए हताश है
तू चल, तेरे वजूद की
समय को भी तलाश है..
जला के भस्म कर उसे
जो क्रूरता का जाल है…
जला के भस्म कर उसे
जो क्रूरता का जाल है…
तू आरती की लौ नहीं
तू क्रोध की मशाल है
तू क्रोध की मशाल है
तू खुद की खोज में निकल
तू किस लिए हताश है,
तू चल, तेरे वजूद की
समय को भी तलाश है
समय को भी तलाश है..
चूनर उड़ा के ध्वज बना
गगन भी कपकाएगा…
चूनर उड़ा के ध्वज बना
गगन भी कपकाएगा…
अगर तेरी चूनर गिरी
तो एक भूकंप आएगा
तो एक भूकंप आएगा…
तू खुद की खोज में निकल
तू किस लिए हताश है,
तू चल, तेरे वजूद की
समय को भी तलाश है
समय को भी तलाश है..
Read👇
दोस्तों आपको हमारे माध्यम से लिखी इस पोस्ट में लिखी कविता Tu Khud ki Khoj Me Nikal Poem को पढ़कर अगर आपको हमारी पोस्ट वे कविताये पसंद आई है तो हमारे आर्टिकल को शेयर करना न भूले। धन्यवाद।