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Hindi Diwas Par Hasya Kavita || हिंदी दिवस पर हास्य कविताएं

Hindi Diwas Par Hasya Kavita:- दोस्तों आजकी हमारी आज की पोस्ट में हिंदी दिवस हास्य कविताओं का एक मजेदार कलेक्शन लाये है। आप सभी अच्छी तरह से जानते है की हिंदी एक राष्ट्रीय भाषा है। और हर साल 14 सितम्बर को हिंदी दिवस बनाया जाता है। आज कल के लोग हिंदी बोलने में पता नहीं क्यों शर्माते है जबकि हिंदी हमारे देश की मात्र भाषा है जिसे बोलने में कभी शर्म नहीं करनी चाइये। लोग हिंदी भाषा को छोड़ अंग्रेजी भाषा की और आकर्षित हूँ रहे है और देश की राष्ट्रीय भाषा को भूलते जा रहे है। ये पोस्ट उन लोगो के लिए है। जो हिंदी का महत्व नहीं समझते है। आप में से काफी लोग तो यह जानते ही नहीं होंगे की हर साल 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। हमारा उदेश्य सिर्फ इतना है की आप इस पोस्ट में और असल ज़िंदगी में हिंदी भाषा के महत्व को समझे। में आशा करता हूँ की आपको ये पोस्ट जरूर पसंद आएगी अगर आप एक सच्चे भारतीय होंगे तो। धन्यवाद।

Hindi Diwas Par Hasya Kavita – हिंदी दिवस पर कविता 

Hindi Diwas Par Poem

 

बनी द्रौपदी खड़ी है हिंदी, इंगलिश खींचे चीर।
अंधा राजा, सभा है बहरी, किसे सुनाए पीर।।

इंग्लिश स्कूल बने हैं कौरव।
नष्ट कर रहे देश का गौरव।
निपट अकेली हिंदी रोये, भर नैनों में नीर।
अंधा राजा, सभा है बहरी, किसे सुनाए पीर।।

हिंदी के कर्ता-धर्ता सब बनकर पांडव दूर खड़े हैं।
हिंदी प्रेमी दरबारी सब बंधे हाथ मजबूर खड़े हैं।
इज्जत सारी दांव लग गयी, स्थिति है गंभीर।
अंधा राजा, सभा है बहरी, किसे सुनाए पीर।।

पदवी है महरानी की पर दासी सा व्यवहार।
हिंदी सहती देश में अपने कितना अत्याचार।
कहाँ गए अब किशन कन्हाई, कौन बढ़ाये चीर।
अंधा राजा, सभा है बहरी, किसे सुनाए पीर।।

इंग्लिश में जो बात कर रहा, वही बड़ा विद्वान।
देश में हिंदी भाषा का है, नहीं मान-सम्मान।
हिंदी लगती कड़वी उनको इंग्लिश जैसे खीर।
अंधा राजा, सभा है बहरी, किसे सुनाए पीर।।

अंग्रेजों ने भारत आकर हमें गुलामी थोपा।
जाते-जाते इंग्लिश रूपी पौधा देश में रोपा।
आज वही नासूर बना है, चुभता जैसे तीर।
अंधा राजा, सभा है बहरी, किसे सुनाए पीर।।

kavita on Hindi Diwas in hindi language

जन-जन की भाषा है हिंदी,
भारत की आशा है हिंदी,
जिसने पूरे देश को जोड़े रखा है,
वो मज़बूत धागा है हिंदी,
हिन्दुस्तान की गौरवगाथा है हिंदी,
एकता की अनुपम परम्परा है हिंदी,
जिसके बिना हिन्द थम जाए,
ऐसी जीवन रेखा है हिंदी,
जिसने काल को जीत लिया है,
ऐसी कालजयी भाषा है हिंदी,
सरल शब्दों में कहा जाए तो,
जीवन की परिभाषा है हिंदी।

Hindi Diwas par hindi kavita

हिन्दी इस देश का गौरव है, हिन्दी भविष्य की आशा है,
हिन्दी हर दिल की धड़कन है, हिन्दी जनता की भाषा है,
इसको कबीर ने अपनाया, मीराबाई ने मान दिया,
आज़ादी के दीवानों ने इस हिन्दी को सम्मान दिया,
जन – जन ने अपनी वाणी से हिन्दी का रूप तराशा है,
हिन्दी हर क्षेत्र में आगे है, इसको अपनाकर नाम करें,
हम देशभक्त कहलाएंगे, जब हिन्दी में सब काम करें,
हिन्दी चरित्र है भारत का, नैतिकता की परिभाषा है,
हिन्दी हम सबकी ख़ुशहाली है,
हिन्दी विकास की रेखा है,
हिन्दी में ही इस धरती ने हर ख़्वाब सुनहरा देखा है,
हिन्दी हम सबका स्वाभिमान, यह जनता की अभिलाषा है।

Hindi Diwas kavita in hindi for students

बच के कहाँ जाओगी रानी!
हमसा कहाँ पाओगी रानी!
इतने दिनों से नज़र है तुझपे,
रोच गच्चा दे जाती है!
आज तो मौका हाथ आया है!
बस तुम हो और,
बस मैं हूँ, बस!
बंद अकेला और कमरा है!
इतने दिनों से सोच रहा हूँ,
अपने अरमां उड़ेल दूँ,
सारे तुझ पर,
आज तू अच्छी हाथ आई है!
करूँगा सारे मंसूबे पूरे!
आज तो चाहे जो हो जाए,
छोड़ूगा नहीं,
ऐ सोच!
तुझे,
कविता बनाए बिना!!!

Short Essay on Hindi Diwas in Hindi

गुरु आपकी ये अमृत वाणी
हमेशा मुझको याद रहे
जो अच्छा है जो बुरा है
उसकी हम पहचान करे
मार्ग मिले चाहे जैसा भी
उसका हम सम्मान करे
दीप जले या अँगारे हो
पाठ तुम्हारा याद रहे
अच्छाई और बुराई का
जब भी हम चुनाव करे
गुरु आपकी ये अमृत वाणी
हमेशा मुझको याद रहे।

Hindi Diwas Par Hasya Kavita :- दोस्तो मुझे उम्मीद है की आप इस पोस्ट में छुपी भावनाओ को समझोगे। इस लेख Balika diwas par kavita को आप अपने दोस्तों ओर Social Media पर ज्यादा से ज्यादा शेयर करे ताकि लोग अंग्रेजी भाषा की और अग्रसर ना होकर हमारी मात्र भाषा हिंदी का महत्व समझ सके। धन्यवाद।

 

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