Ramdhari Singh Dinkar Poems in Hindi – नमस्कार दोस्तों आज हम आप सभी के लिए एक ऐसे महान इंसान की कुछ प्रसिद्ध कविताएं आपके समक्ष ला रहे है। ये सभी कविताएं वीर रस और छायावादी के प्रतिक कवी रामधारी दिनकर जी के माध्यम से स्वम के जीवन को आधार मानकर लिखी गई है।
रामधारी दिनकर जीवन परिचय :- कवी रामधारी दिनकर का जन्म साल 23 सितम्बर 1908 में हुआ था और उनकी मृत्यु 24 अप्रैल 1974 में हुई थी। कवी रामधारी दिनकर एक वीर रस के प्रमुख कवी माने जाते थे इन्होकी कविताओं में हमेशा एक विद्रोह और क्रांतिकारी की भावनाये झलकती आयी है। कोई भी इन्होकी कविताओं को पढ़कर निराशा के भवर से बहार आ जाता था। ये एक ऐसे कवी हुए जिन्होकी कविताए आज भी इन्होके नाम से जानी जाती है। तो आइये जानते है ऐसे महान कवी की कुछ लोकप्रिय कविताओं के बारे में।
Best Ramdhari Singh Dinkar Poems in Hindi
ramdhari singh dinkar in hindi poems “चांद का कुर्ता“
हठ कर बैठा चांद एक दिन, माता से यह बोला,
सिलवा दो मां, मुझे ऊन का मोटा एक झिंगोला।
सन-सन चलती हवा रात भर, जाड़े से मरता हूं,
ठिठुर-ठिठुर कर किसी तरह यात्रा पूरी करता हूं।
आसमान का सफर और यह मौसम है जाड़े का,
न हो अगर तो ला दो, कुर्ता ही कोई भाड़े का।”
बच्चे की सुन बात कहा माता ने, ” अरे सलोने,
कुशल करें भगवान, लगें मत तुझको जादू-टोने।
जाड़े की तो बात ठीक है, पर मैं तो डरती हूं,
एक नाप में कभी नहीं तुझको देखा करती हूं।
कभी एक अंगुल भर चौड़ा, कभी एक फुट मोटा,
बड़ा किसी दिन हो जाता है और किसी दिन छोटा।
घटता बढ़ता रोज, किसी दिन ऐसा भी करता है,
नहीं किसी की आंखों को दिखलाई पड़ता है।
अब तू ही तो बता, नाप तेरा किस रोज लिवायें,
सीं दें एक झिंगोला जो हर दिन बदन में आये।
कुंजी (चाभी) पर कविता – Ramdhari Dinkar Kavita
घेरे था मुझे तुम्हारी साँसों का पवन,
जब मैं बालक अबोध अनजान था।
यह पवन तुम्हारी साँस का,
सौरभ लाता था।
उसके कंधों पर चढ़ा,
मैं जाने कहाँ-कहाँ,
आकाश में घूम आता था।
सृष्टि शायद तब भी रहस्य थी।
मगर कोई परी मेरे साथ में थी;
मुझे मालूम तो न था,
मगर ताले की कुंजी मेरे हाथ में थी।
जवान हो कर मैं आदमी न रहा,
खेत की घास हो गया।
तुम्हारा पवन आज भी आता है
और घास के साथ अठखेलियाँ करता है,
उसके कानों में चुपके चुपके
कोई संदेश भरता है।
घास उड़ना चाहती है
और अकुलाती है,
मगर उसकी जड़ें धरती में
बेतरह गड़ी हुईं हैं।
इसलिए हवा के साथ
वह उड़ नहीं पाती है।
शक्ति जो चेतन थी,
अब जड़ हो गयी है।
बचपन में जो कुंजी मेरे पास थी,
उम्र बढ़ते बढ़ते
वह कहीं खो गयी है।
ramdhari singh dinkar poems in hindi pdf download –कुरुक्षेत्र
भगवान सभा को छोड़ चले,
करके रण गर्जन घोर चले,
सामने कर्ण सकुचाय सा,
आ मिला चकित भरमाया सा,
हरि बड़े प्रेम के कर धर कर,
ले चढ़े उसे अपने रथ पर,
रथ चला परस्पर बात चली,
शम-दम की टेढ़ी घात चली,
शीतल ओ हरी ने कहा हाय,
अब शेष नहीं कोई उपाय,
हो विश्व हमे धनु धरना है,
क्षत्रिय समूह को मरना है,
मैंने कितना कुछ कहा नहीं,
विश्व व्यंग कहां तक सहा नहीं,
पर दुर्योधन मतवाला है,
कुछ नहीं समझने वाला है,
चाहिए उसे बस रण केवल,
सारी धरती की मरण केवल||
ramdhari singh dinkar most famous poem
पर्वत पर, शायद, वृक्ष न कोई शेष बचा
धरती पर, शायद, शेष बची है नहीं घास,
उड़ गया भाप बनकर सरिताओं का पानी,
बाकी न सितारे बचे चाँद के आस-पास ।
क्या कहा कि मैं घनघोर निराशावादी हूँ?
तब तुम्हीं टटोलो हृदय देश का, और कहो,
लोगों के दिल में कहीं अश्रु क्या बाकी है?
बोलो, बोलो, विस्मय में यों मत मौन रहो ।
ramdhari singh dinkar short poems in hindi
नमो, नमो, नमो।
नमो स्वतंत्र भारत की ध्वजा, नमो, नमो !
नमो नागाधिराज – श्रृंग की विहारिणी !
नमो अनंत सौख्य-शक्ति-शील-धारिणी!
प्रणय-प्रसारिणी, नमो अरिष्ट-वारिणी!
नमो मनुष्य की शुभेषणा-प्रचारिणी!
नवीन सूर्य की नयी प्रभा,नमो, नमो!
हम न किसी का चाहते तनिक, अहित, अपकार।
प्रेमी सकल जहान का भारतवर्ष उदार।
सत्य न्याय के हेतु फहर फहर ओ केतु
हम विचरेंगे देश-देश के बीच मिलन का सेतु
पवित्र सौम्य, शांति की शिखा, नमो, नमो!
तार-तार में हैं गुंथा ध्वजे, तुम्हारा त्याग!
दहक रही है आज भी, तुम में बलि की आग।
सेवक सैन्य कठोर हम चालीस करोड़
कौन देख सकता कुभाव से ध्वजे, तुम्हारी ओर
करते तव जय गान वीर हुए बलिदान,
अंगारों पर चला तुम्हें ले सारा हिन्दुस्तान!
प्रताप की विभा, कृषानुजा, नमो, नमो!
Ramdhari Singh Dinkar Poems in Hindi pdf
His poetry used simple Hindi words to convey complex emotions, and his poems were known for their patriotic and nationalistic spirit. He was awarded the Bharatiya Jnanpith award in 1972, one of the highest literary honors in India.
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हां तो दोस्तों आजकी हमारी पोस्ट पर लिखा आर्टिकल Ramdhari Singh Dinkar Poems in Hindi पर पढ़ कर केसा लगा। मुझे उम्मीद है की आप भी और लोगों की भाति इन्होकी कविताएं पढ़कर जोश से भर गए होंगे। अगर आप ऐसे ही कुछ महान कवियों की कविताएं और देखना चाहते है तो आज ही हमारी वेबसाइट विजिट करे यहां आपको मुंशी प्रेमचंद, रामधारी दिनकर जैसे महान कवियों की प्रसिद्ध कविताएं देखने को मिलेगी।