Harivansh Rai Bachchan Poems || डॉ हरिवंश राय बच्चन की प्रसिद्ध कविताये
दोस्तों आज हम आप सभी के लिए एक ऐसे महान कवी की कवताये लाये है हमारी इस पोस्ट पर आपको Harivansh Rai Bachchan Poems पर लेख मिलेगा जो आपको बेहद पसंद आएगा। वैसे तो आप सभी बचपन से इन्होके बारे में वे इन्होकी प्रसिद्ध कविताए पढ़ते चले आ रहे हो तो आप इन्होके बारे में जानते जरूर होंगे। ऐसा कोई नही इस दुनिया में जिसकी जुबान पर हरिवंश राय बच्चन का नाम ना हो या कोई इन्होके बारे में नहीं जनता हो ये दुनिया भर में ऐसे महान कवी रहे जो अपनी कविता के माध्यम से दुनिया भर में अपनी छाप छोड़ अपनी एक प्रसिद्ध पहचान बनाई।
डॉ हरिवंश राय बच्चन छायावादी के प्रतिक माने जाते है यह एक छायावादी कवी के रूप में भी प्रसिद्ध है। इन्होकी कुछ ख़ास वे लोकप्रिय कविताये आज हम आप सभी के साथ शेयर करने जा रहे है हम उम्मीद करते है की आपको इन्होकी कविताये बेहद पसंद आएगी। धन्यवाद।
Harivansh Rai Bachchan Poems – हरिवंश राय की यादगार कविताये
Harivansh Rai Bachchan ki Hindi Kavita
वृक्ष हों भले खड़े,
हों घने हों बड़े,
एक पत्र छाँह भी,
माँग मत, माँग मत, माँग मत,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।
तू न थकेगा कभी, तू न रुकेगा कभी,
तू न मुड़ेगा कभी,
कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।
harivansh rai bachchan poems in hindi on life
नीड़ का निर्माण फिर-फिर,
नेह का आह्णान फिर-फिर।
वह उठी आँधी कि नभ में
छा गया सहसा अँधेरा,
धूलि धूसर बादलों ने
भूमि को इस भाँति घेरा,
रात-सा दिन हो गया, फिर
रात आई और काली,
लग रहा था अब न होगा
इस निशा का फिर सवेरा,
रात के उत्पात-भय से
भीत जन-जन, भीत कण-कण
किंतु प्राची से उषा की
मोहिनी मुस्कान फिर-फिर
नीड़ का निर्माण फिर-फिर,
नेह का आह्णान फिर-फिर।
Motivational Poems in Hindi by Harivansh Rai Bachchan
मैं धरती का पिता हूँ!
सर्दी और तेज धूप सहकर
मीलों पैदल चलकर,
परिवार का भरण पोषण किया हूं!
दर्द में मुख सिला हूं!
छोटे-बड़े और ऊंच-नीच का
भाव मुझे हताश करता हैं!
समाज में व्याप्त कुरीतियां
निराश करती है!
बेटी, बेटे में अंतर मुझे रूलाता है!
उजड़ते बाग मुझे डराता है!
नदियों में बहती गंदगी देख
मन विचलित होता है!
कटते पेड़, बिखरते परिवार
देख तन शिथिल होता है!
चैन की नीद सोने नहीं देते!
झोपड़ पट्टी की बस्तियां मेरे
दिल में निवास करती हैं!
भूखे ,बीमार बच्चे, असहाय
की दशा देख मैं खता हूं!
मैं धरती का पीटा हूं!
तट पर है तरुवर एकाकी,
नौका है, सागर में,
अंतरिक्ष में खग एकाकी,
तारा है, अंबर में,
भू पर वन, वारिधि पर बेड़े,
नभ में उडु खग मेला,
नर नारी से भरे जगत में
कवि का हृदय अकेला
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आज की हमारी पोस्ट बड़ी खास रही थी यहाँ आप सभी को डॉ हरिवंश राय बच्चन की कुछ फेमस कविताओं के बारे में बताया गया है इस पोस्ट में आप सभी को हरिवंश राय बच्चन के जीवन से जुडी कुछ रोचक कविताएं देखने को मिली है में उम्मीद करता हूँ की आपको हमारी पोस्ट पसंद आएगी।