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पर्यावरण पर कुछ प्रसिद्ध कविताये || Poem on Environment in Hindi

दोस्तों आज की हमारी पोस्ट बड़ी ख़ास होने वाली है यह पोस्ट पर्यावरण पर है अर्थात Poem on Environment in Hindi पर यहां आप सभी को पर्यावरण  कुछ रोचक कविताये देखने को मिलेगी। आज हम ही नहीं सम्पूर्ण मानव जाती पर्यावरण का अंधाधुन्द उपयोग कर रहे है इसी अंधाधुन्द उपयोग को रोकने और सभी लोगो को जागरूक करने के लिए हम आपको हमारी पोस्ट पर पर्यावण के बारे में कुछ रोचक जानकारी शेयर करेंगे। इस समाज में हम ही नहीं हर जिव जंतु इस पर्यावण का आनंद ले रहे है। 

हर साल 5 जून को हम सभी मिलकर विश्व पर्यावण दिवस बनाते है हमारी इस पोस्ट का उदेश्य सिर्फ इतना ही रहेगा की आप पर्यावण के प्रति जागरूक हो इसका अंधाधुन्द तरह से उपयोग ना करे अगर ऐसा ही चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब सम्पूर्ण मानव जाती इसके चपेट में आ जाएगी और इसकी भारी हानि हमको ही नहीं बल्कि पृथ्वी पर रह रहे सभी जिव जंतु और मानव जाती को उठानी पड़ेगी। में उम्मीद करता हूँ की आपको हमारा लेख पसंद आएगा।

Poem on Environment in Hindi | पर्यावरण पर कविताये

Poem on Environment Hindi Mai

आओ ये संकल्प उठाए,
पर्यावरण को नष्ट होने से बचाएँ।

स्वयं भी जाग्रत हो,
और लोगो में भी चेतना जगाए।

देकर नवजीवन इस प्रकृति को,
इसका अस्तित्व बचाएँ।

जल ही जीवन है धरती पर,
इसकी हर एक बूंद बचाएँ।

संरक्षित कर इसको,
अपना भविष्य बचाएँ।

वृक्ष नही कटने पाएँ,
हरियाली न मिटने पाए,

लेकर एक नया संकल्प,
हर एक दिन नया वृक्ष लगाएँ।

ये प्रकृति ही जीवन है,
अपने जीवन को बचाएँ।


Poem on Save Environment in Hindi | पर्यावरण बचाओं पर कविता

कितनी मनोरम है ये धरती,
प्रकृति और ये पर्यावरण।
कल-कल बहते पानी के झरने,
हरी भरी सी धरती और इसके इंद्रधनुषीय नज़ारे।

कलरव करते नभ में पक्षी,
जीवन के राग सुनाते है।
मस्त पवन के झोंको में,
यूँही बहतें जाते हैं।

फूलों से रस को चुनने,
कितनें भौरें आते है।
कली-कली पर घूम-घूम कर,
देखो कैसे इतरातें है।

बारिश की बूंदे भी देखो,
सबके मन को भाती है।
हरा-भरा कर धरती को,
सबको जीवन दे जाती हैं।

कितनी मनोरम है ये धरती,
प्रकृति और ये पर्यावरण।
हमको जीवन देनी वाली प्रकृति का,
मिलकर करना है हम सबको सरंक्षण।

Hindi Poeam on Environment | पर्यावरण बचाओ कविता

यूँही बढ़ता रहा अगर,
पर्यावरण का विनाश।
तो हो जाएगा धरा से,
जीवन का सर्वनाश।
दिखती जो है थोड़ी सी भी हरियाली,
हो जायेगी एक दिन,
धरती माँ की चादर काली।
खत्म हो जाएगा नभ से,
पंक्षियों का डेरा।
अपने प्रचंड पंख पसारे अम्बर में,
तब फिरा लेगा रवि भी अपना बसेरा।
न बारिश की बूंदे होंगी,
और न इंद्रधनुष का मंजर होगा।
चारों तरफ होगा सूनापन,
और बस बंजर ही बंजर होगा।

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में उम्मीद करता हूँ की आपको हमरी पोस्ट Poem on Environment in Hindi बेहद पसंद आई होगी और हम ये आशा भी करते है की आप पर्यावरण के प्रति हमारे उदेश्य के प्रति जरूर जागरूक हुए होंगे। अगर हमारी पोस्ट आपको पसंद आई है तो आप हमे हमारे कमेंट बॉक्स में बता सकते है। धन्यवाद।

Nishant

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